भारत की पंचवर्षीय योजनाएँ
➽प्रथम पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1951-1956)
प्राथमिकता→ कृषि क्षेत्र पर विशेष ज़ोर दिया गया
➽द्वितीय पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1956-1961)
प्राथमिकता→'प्रो. पी. सी. महालनोबिस' के मॉडल पर आधारित इस योजना का लक्ष्य 'तीव्र
औद्योगिकीकरण' था।
➽तृतीय पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1961-1966) - स्वावलम्बी अर्थव्यवस्था पर ज़ोर दिया गया।
➽चौथी पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1969-1974)
प्राथमिकता स्थिरता के साथ आर्थिक विकास तथा आत्मनिर्भरता की
अधिकाधिक प्राप्ति।
➽पाँचवी पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1974-1979)
प्राथमिकता→गरीबी उन्मूलन
➽छठी पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1980-1985)
प्राथमिकता→रोजगार का सृजन
➽सातवीं पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1985-1990)
प्राथमिकता→आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था
➽आठवीं पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1992-1997)
प्राथमिकता→कृषि एवं विकास , जनसंख्या पर नियंत्रण
➽9 वीं पंचवर्षीय योजना
अवधि →(1997-2002)
प्राथमिकता→न्यायपूर्ण वितरण
➽दसवीं पंचवर्षीय योजना
अवधि →(2002-2007)
प्राथमिकता→सामाजिक न्याय एवं समानता
➽ग्यारहवी पंचवर्षीय योजना
अवधि →(2007-2012)
प्राथमिकता→व्यापक और तेजी से विकास
➽बारहवीं पंचवर्षीय योजना
अवधि →(2012-2017)
प्राथमिकता→त्वरित समावेशी विकास
➽योजना अवकाश
वर्ष 1962 में चीन और 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के कारण पैदा हुई
आर्थिक स्थिति, दो साल लगातार भीषण सूखा पड़ने, मुद्रा का अवमूल्यन होने, कीमतों में हुई
वृद्धि तथा योजना उद्देश्यों के लिए संसाधनों में कमी होने के कारण 'चौथी योजना' को अंतिम रूप देने में देरी हुई इसलिए इसका स्थान पर चौथी योजना के प्रारूप को ध्यान में रखते हुए 1966 से 1969 तक तीन वार्षिक योजनाएँ बनायी गयीं। इस
अवधि को 'योजना अवकाश' कहा
जाता है।