* सुबह जल्दी उठें, नित्यकर्म एवं स्नान से निवृत्त होकर कुछ समय ईश्वर आराधना में अवश्य दें । यह आपको दिन भर के लिए पर्याप्त मानसिक ऊर्जा संचित करने में अत्यधिक सहायक है .
* अपनी दिनचर्या नियमित एवं संयमित रखें ।
* अपने खानपान पर विशेष ध्यान दें, खाना सात्विक हो तो ज्यादा अच्छा होगा ।
* मानसिक एकाग्रता को बनाये रखने के लिए उपरोक्त बातों का ध्यान रखना लाभदायक होगा ।
* अपना लक्ष्य हमेशा ध्यान रखें, यह आपको लक्ष्य प्राप्ति के रास्ते में आने वाली बाधाओं को आसानी से पार करने में सहायक होगा ।
* अपने आसपास के या आपके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों से अपने सम्बन्ध मधुर बनाये रखिये । यह आपको लक्ष्य प्राप्ति में अत्यधिक सहायक होगा ।
* आस्तीन के साँपों से हमेशा सावधान रहिये, ये आपको कभी भी अपने लक्ष्य से भटका सकते हैं ।
* अपने माता-पिता एवं गुरुजनों का सम्मान करिए । आपकी सफलता इनके आशीर्वाद के बिना सम्भव नहीं है ।
* उपरोक्त बातों को अपने जीवन में अपनाकर आपने सफलता लगभग प्राप्त कर ली है, देर है तो सिर्फ़ समय की ।
* अब पूरे जोश से अध्ययन में लग जाइये ।
* अध्ययन की रुपरेखा तैयार करिए, इसके लिए अपने लक्ष्य के अनुरूप आवश्यक पुस्तकों का संग्रह करिए ।
* पाठ्यक्रम को ध्यान में रखते हुए अपने नोट्स अवश्य बनायें । नोट्स संक्षिप्त एवं सारगर्भित हों ताकि परीक्षा के समय आप कम समय में इन्हें दोहरा सकें।
* सर्वप्रथम पाठ्यक्रम के उन बिन्दुओं का चयन करें जो सरल हों, इन पर अपनी पकड़ मजबूत बनायें । इसके बाद कठिनतर बिन्दुओं पर ध्यान दें ।
* अंकगणित, सामान्य अंग्रेजी, इतिहास, भूगोल के अपेक्षाकृत स्थाई तथ्य (भौगोलिक संरचनाएं, देश एवं निवासी, कृषि आदि), भारतीय राजव्यवस्था, सामान्य विज्ञान(दैनिक जीवन में उपयोगी), सामान्य मानसिक योग्यता आदि ऐसे क्षेत्र हैं जिनसे लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों के ८०-९०% प्रश्न पूछे जाते हैं ।
* एक बार इन क्षेत्रों पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद आप निश्चिंत होकर किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी बड़े ही आराम से कर सकते हैं ।
* परीक्षा के स्वरूप को अवश्य ध्यान में रखें । वस्तुनिष्ठ परीक्षा में आपसे केवल सही उत्तर पहचानने की अपेक्षा की जाती है परन्तु वर्णात्मक परीक्षा हेतु विस्तृत ज्ञान होना आवश्यक है ।
* साक्षात्कार हेतु आपके ज्ञान के साथ ही आपके हावभाव तथा पहनावा भी महत्त्वपूर्ण हैं । इनका अवश्य ध्यान रखें ।
* अपने पढ़े हुए बिन्दुओं के नियमित दोहराव हेतु प्रतिदिन कुछ समय अवश्य दें, याद रखिये नियमित दोहराव के बिना आप कभी भी परीक्षा में आत्मविश्वास के साथ नहीं बैठ सकते । यदि आपने अपना पढ़ा हुआ दोहराया नहीं है तो परीक्षा हॉल के तनाव में आप अनचाही गलतियाँ करके अपने को सफलता से दूर कर सकते हैं ।
* परीक्षा के कुछ समय पूर्व पढ़ना बंद कर अपने मस्तिष्क को एकाग्र बनाये रखने पर जोर दीजिये । परीक्षा के लिए जाते समय की पढ़ाई आपको भ्रम में भी डाल सकती है ।
* प्रश्नपत्र का एक बार अध्ययन अवश्य करें । यह आपके मस्तिष्क को इसे हल करने की रुपरेखा बनाने के लिए आवश्यक है ।
* हो सकता है कि प्रश्नपत्र अत्यधिक कठिन आया हो तब भी आपको विचलित होने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यहाँ पर आपके सामने उसे हल करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है । प्रश्नपत्र अत्यधिक सरल भी हो सकता है, तब आपको और अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि ऐसे में गलतियों की सम्भावना भी बढ़ जाती है । याद रखिये किसी भी परीक्षा का उद्देश्य आपके ज्ञान के साथ-साथ विपरीत परिस्थितियों में आपके मानसिक संतुलन को परखना भी होता है ।
* किसी भी परीक्षा के बाद एक-दो दिन विश्राम कर पुनः अपनी सामान्य तैयारी में लग जाइये । परिणाम की प्रतीक्षा में समय बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं है ।
* किसी भी सफलता के पश्चात् अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं मित्रों को धन्यवाद देना न भूलें । याद रखें आपकी सफलता में इन सभी व्यक्तियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है ।
* असफलता की स्थिति में निराश न होकर उन कमियों पर ईमानदारी से गौर करें जिनके कारण आप असफल हुए, इन कमियों को जल्दी से जल्दी दूर करें । अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं मित्रों से इस संबन्ध में मार्गदर्शन लें ।
* एक बात जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है - हर परिस्थिति में अपना धैर्य बनायें रखें । यह आपकी सफलता का सब से महत्त्वपूर्ण तत्त्व है ।
* किसी भी परीक्षा के बाद एक-दो दिन विश्राम कर पुनः अपनी सामान्य तैयारी में लग जाइये । परिणाम की प्रतीक्षा में समय बर्बाद करने से कोई फायदा नहीं है ।
* किसी भी सफलता के पश्चात् अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं मित्रों को धन्यवाद देना न भूलें । याद रखें आपकी सफलता में इन सभी व्यक्तियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है ।
* असफलता की स्थिति में निराश न होकर उन कमियों पर ईमानदारी से गौर करें जिनके कारण आप असफल हुए, इन कमियों को जल्दी से जल्दी दूर करें । अपने माता-पिता, गुरुजनों एवं मित्रों से इस संबन्ध में मार्गदर्शन लें ।
* एक बात जो सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है - हर परिस्थिति में अपना धैर्य बनायें रखें । यह आपकी सफलता का सब से महत्त्वपूर्ण तत्त्व है ।